लेखनी प्रतियोगिता -20-Jul-2022 मोह माया का संसार
रचीयता-प्रियंका भूतड़ा
शीर्षक- मोह माया का संसार
मोह माया का है संसार,
प्रेम पाश में बंधा इंसान।
छोड़ इस बंधन को,
हो जा तू मुक्त,
शरीर है नश्वर,
आत्मा है अमर।
आत्मा लेती है दूसरा स्वरूप,
फिर क्यों रखता मोह बंधन,
मृत्यु तो है शाश्वत सत्य।
आसकि्त, लोभ, मोह, को त्याग,
मौत खड़ी है तेरे द्वार,
जीवन एक झमेला,
माया है वासना,
परिष्कार कर तू इसका,
मृत्यु को तू अपना।
समय गति है तेज
जो आया इस संसार में
उसे एक दिन जाना है
अपना ले तू आज इस हकीकत को,
मृत्यु से कर तू अपना मिलन।
ईश्वर ने बनाई है निश्चित आयुष,
सत्य आत्मा का कर तू मिलन,
आत्मा होती परमात्मा में विलीन,
ना डर तू ना रुक,
कदम को आगे बढ़ाते रहो निरंतर,
यही है संसार का नियम।
जीवन मरण का है यह चक्र,
फिर क्यों करता है तू फ़िक्र,
जान ले तू शरीर है नश्वर,
आत्मा है अमर,
लेती है द्विज जगह शरण।
यहीं है संसार का नियम।।
Punam verma
21-Jul-2022 09:27 AM
Nice
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Abhinav ji
21-Jul-2022 08:51 AM
Nice 👍
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Swati chourasia
21-Jul-2022 06:44 AM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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